प्राचीन काल से सुनते आ रहे है कि किस्मत के ग्रह सही नहीं चल रहे है या फिर ‘सारा खेल तो ग्रह नक्षत्रों का है ये सही है किस्मत को मानाने वालो के लिए ग्रह नक्षत्र बहुत मायने रखते है vedic Astrology शास्त्र तो पूरी तरह ग्रह नक्षत्रों पर ही आधारित है आज हम पूरी तरह से जानेगे की ग्रह नक्षत्र क्या है और इसका मानव के साथ क्या सम्बंद है
नक्षत्र क्या होते है ?
नक्षत्र का वर्णन वैदिक ज्योतिष में किया गया है नक्षत्र शब्द दो शब्दों से जुड़कर बना है जो कि ‘नक्स’ और ‘शतर’ हैं। संस्कृत में ‘नक्स’ शब्द का अर्थ है ‘आकाश’ और ‘शतर’ शब्द का अर्थ है ‘क्षेत्र’ जो कि एक साथ आकाश का क्षेत्र।
शुभ सामान्य और अशुभ नक्षत्र
नक्षत्रों का जीवन में बहुत महत्तव होता है नक्षत्र जीवन की दिशा और मार्ग तय करते है। Astrology शास्त्र के मुताबिक कुल 27 नक्षत्रों को वर्ण किया गया है शुभ नक्षत्र, सामान्य नक्षत्र और अशुभ नक्षत्र। ज्योतिष सुरेश शास्त्री जी के दवारा जानिए कौन से नक्षत्र शुभ, सामान्य और अशुभ हैं
शुभ नक्षत्र
शुभ नक्षत्र वो होते हैं जिनमें किए गए सभी काम सिद्ध होते हैं। इन नक्षत्रों में रोहिणी (Rohinī), अश्विनी (Ashvinī), मॄगशिरा (Mrigashīrsha), पुष्य (Pushya), हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढ़ा, उत्तरा फाल्गुनी, घनिष्ठा, पुनर्वसु (Punarvasu)।
सामान्य नक्षत्र
सामान्य नक्षत्र वह होते हैं जिसमें कोई बड़ा काम शुरू करना नहीं करना चाहिए, लेकिन सामान्य कामकाज के लिहाज से कोई नुकसान नहीं होता। इनमें पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, विशाखा, ज्येष्ठा, आद्रा (Ārdrā), मूला और शतभिषा।
अशुभ नक्षत्र
अशुभ नक्षत्र में तो कोई शुभ काम शुरू नहीं करना चाहिए। इससे नुकसान हो सकता है। अशुभ नक्षत्रों में भरणी (Bharanī), कृत्तिका (Krittikā), मघा और अश्लेशा (Āshleshā)।