श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित भगवान शिव का एक दिव्य ज्योतिर्लिंग है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और हिंदू धर्म में इसका अत्यंत आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। यह स्थान विशेष रूप से गंगा नदी के उद्गम स्थल “ब्रह्मगिरी पर्वत” के पास स्थित है। यहाँ भगवान शिव को त्र्यंबक (Three-Eyed Lord) के रूप में पूजा जाता है।
पौराणिक कथा:
एक समय की बात है, गौतम ऋषि अपनी पत्नी अहिल्या के साथ त्रयंबक क्षेत्र में निवास करते थे। ऋषि गौतम धर्मशील और तपस्वी थे, और उनकी तपस्या के कारण क्षेत्र में बहुत समृद्धि थी। वहाँ कोई अकाल नहीं था, जबकि आसपास के क्षेत्रों में भयंकर अकाल पड़ा हुआ था। इस कारण अन्य ऋषि गौतम ऋषि से ईर्ष्या करने लगे।
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एक दिन, उन ऋषियों ने मिलकर एक षड्यंत्र रचा और एक दुर्भिक्ष (गाय) का वध करवा दिया। जब गौतम ऋषि उस गाय के पास आए, तो ऋषियों ने उन पर गौहत्या का आरोप लगा दिया। गौतम ऋषि ने इस पाप से मुक्त होने के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और गौहत्या से मुक्त कर दिया। साथ ही, उन्होंने गौतम ऋषि की प्रार्थना पर यहाँ स्वयं स्थापित होकर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए।
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भगवान शिव ने इस स्थान को भी वरदान दिया कि यहाँ से गोदावरी नदी प्रवाहित होगी, जिसे त्र्यंबक क्षेत्र में “गंगा” के नाम से जाना जाता है। इस पवित्र नदी का जल सभी पापों और दोषों को दूर करने वाला माना जाता है।
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धार्मिक महत्व:
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहाँ विशेष रूप से कालसर्प दोष और पितृ दोष निवारण के लिए पूजा की जाती है। सावन के महीने में और महाशिवरात्रि के समय यहाँ भक्तों की भारी भीड़ होती है, जो भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए आते हैं। श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा हमें बताती है कि भगवान शिव अपने भक्तों के कष्टों को हरने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, और उनके भक्तों के लिए वह हर संभव सहायता करते हैं।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन के नियम (Rules for Visiting Trimbakeshwar):
- भक्त को शुद्धता और श्रद्धा के साथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहिए।
- मंदिर परिसर में प्रवेश से पहले स्नान करना अनिवार्य है।
- रुद्राभिषेक पूजा कराने के लिए पुजारियों की मदद लेनी चाहिए।
- यहाँ विशेष रूप से रुद्राक्ष पहनने का महत्व है।
श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषताएँ (Special Features of Trimbakeshwar):
- तीन नेत्रों की विशेषता:
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के तीन नेत्रों का प्रतीक है, जो सृष्टि (Creation), पालन (Preservation), और संहार (Destruction) का प्रतीक है। - गंगा का उद्गम:
यह स्थान ब्रह्मगिरी पर्वत से गंगा नदी (जिसे यहाँ गोदावरी भी कहते हैं) के प्रवाह का स्थान है। - रुद्राभिषेक पूजा का महत्व:
त्र्यंबकेश्वर में रुद्राभिषेक पूजा अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। भक्त इसे अपने जीवन के कष्टों को दूर करने और सुख-समृद्धि के लिए करते हैं।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है।
त्र्यंबकेश्वर में रुद्राभिषेक पूजा सबसे प्रमुख है। यह पूजा शिवलिंग पर जल, दूध, और बेलपत्र चढ़ाकर की जाती है।
त्र्यंबकेश्वर ब्रह्मगिरी पर्वत से गोदावरी नदी (गंगा) का उद्गम स्थल है।
यह भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और गंगा के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
मंदिर सुबह 5:30 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है। रुद्राभिषेक पूजा सुबह और दोपहर में विशेष रूप से की जाती है।