श्री राम स्तुति | Shri Ram Stuti | डाउनलोड करें मुफ्त हिंदी पीडीएफ

Shri Ram Stuti

श्री राम स्तुति का महत्व

श्री राम स्तुति (Shri Ram Stuti) भगवान श्रीराम की महिमा का गान है, जो उनके भक्तों के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख का मार्ग प्रशस्त करता है। यह स्तुति भगवान राम के गुणों और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन करती है।

श्री राम स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और उसके जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। भक्त इसे सुबह और शाम अपने आराध्य के प्रति समर्पण भाव से गाते हैं।

श्री राम स्तुति पढ़ने के लाभ

  1. आध्यात्मिक शांति: यह स्तुति भक्तों को मानसिक और आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है।
  2. संकटों का नाश: श्रीराम के नाम का जाप जीवन की सभी समस्याओं का समाधान देता है।
  3. भक्ति और विश्वास: इसका पाठ करने से भगवान राम के प्रति भक्ति और विश्वास बढ़ता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: श्रीराम स्तुति का नियमित पाठ आपके आस-पास सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

Shri Ram Stuti पीडीएफ कैसे डाउनलोड करें?

आप मुफ्त में श्री राम स्तुति का हिंदी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं और इसे अपने दैनिक पूजा में शामिल कर सकते हैं।

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श्री राम स्तुति के लोकप्रिय श्लोक

दोहा 1:

“श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन, हरण भवभय दारुणं।
नव कंज लोचन कंज मुख, कर कंज पद कंजारुणं॥”

इस दोहे में भगवान श्रीराम को कृपालु (दयालु) कहा गया है। उनके चरण, मुख और नेत्र कमल के समान सुकोमल और सुंदर हैं। भगवान सभी भक्तों के दुखों और भवसागर के भय को हरते हैं।

दोहा 2:

“कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरं।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि, नोमि जनक सुतावरं॥”

यहां श्रीराम की अनुपम छवि का वर्णन किया गया है। उनकी सुंदरता अनगिनत कामदेवों से अधिक है। उनका नीलवर्णीय शरीर बादलों के समान सुंदर और पीताम्बर वस्त्रों से सजा हुआ है।

दोहा 3:

“भजु दीनबन्धु दिनेश दानव, दैत्य वंश निकन्दनं।
रघुनन्द आनन्द कन्द, कोशल चन्द दशरथ नन्दनं॥”

भगवान श्रीराम दीनों के बंधु (सहायक) हैं, वे सूर्य के समान प्रकाशमान हैं। रघुकुल के आनंददाता और दुष्टों का नाश करने वाले हैं।

दोहा 4:

“शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु, उदारु अङ्ग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर, संग्राम जित खरदूषणं॥”

श्रीराम के मस्तक पर मुकुट, कानों में कुंडल, और भाल पर तिलक उनकी दिव्यता को दर्शाते हैं। वे हाथ में धनुष और बाण लेकर संग्राम में खर और दूषण का नाश करने वाले हैं।

दोहा 5:

“इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष मुनि मन रंजनं।
मम् हृदय कंज निवास कुरु, कामादि खलदल गंजनं॥”

तुलसीदास जी कहते हैं कि भगवान श्रीराम शंकर, शेषनाग, और सभी ऋषियों के हृदय को आनंदित करते हैं। वे अपने भक्त के हृदय में निवास कर उनकी बुरी आदतों और दोषों का नाश करते हैं।

सोरठा का भावार्थ

“जानी गौरी अनुकूल सिय, हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल वाम, अङ्ग फरकन लगे।”

सोरठा में माता गौरी द्वारा सीता को दिया गया आशीर्वाद है। माता गौरी के आशीर्वाद से सीता जी का मन प्रसन्न हो जाता है, और उन्हें शुभ संकेत मिलने लगते हैं।

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