संकल्प मंत्र हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। संकल्प का अर्थ है दृढ़ निश्चय या संकल्पना, और संकल्प मंत्र वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपनी इच्छाओं, उद्देश्यों, और कर्मों के प्रति भगवान के सामने अपनी प्रतिबद्धता को व्यक्त करता है। यह मंत्र किसी भी पूजा, व्रत, हवन, या धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत में लिया जाता है, जिससे उस अनुष्ठान का उद्देश्य स्पष्ट होता है और मन की एकाग्रता प्राप्त होती है।
संकल्प मंत्र का महत्व | Importance of Sankalp Mantra
Sankalp Mantra का उच्चारण करते समय व्यक्ति भगवान को साक्षी मानकर अपने मन, वचन, और कर्म से किसी विशेष कार्य या पूजा के लिए प्रतिबद्ध होता है। यह मंत्र न केवल अनुष्ठान की पवित्रता को बढ़ाता है, बल्कि व्यक्ति की मानसिक स्थिति को भी स्थिर करता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपनी इच्छाओं को भगवान के समक्ष प्रस्तुत करता है और उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करता है।
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संकल्प मंत्र की विधि | Method of Sankalp Mantra
संकल्प लेने की प्रक्रिया सरल है, लेकिन इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाना चाहिए। यहां संकल्प मंत्र की सामान्य विधि बताई जा रही है:
1. स्थान और स्थिति: संकल्प लेने से पहले किसी पवित्र स्थान पर बैठें। ध्यान रखें कि आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो।
2. पवित्रीकरण: सबसे पहले जल का छींटा अपने चारों ओर छिड़क कर स्थान का पवित्रीकरण करें। फिर अपने हाथों को धो लें।
3. अर्घ्य जल: एक तांबे के पात्र में जल लें और उसमें पुष्प, चावल (अक्षत), और थोड़ा सा कच्चा दूध मिलाएं।
4. संकल्प मंत्र: संकल्प लेने के लिए दाहिने हाथ में जल, पुष्प और चावल लेकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करें:
ॐ विष्णु विष्णु विष्णुः।
ॐ तत्सत् अद्य श्री [तिथि, वार, माह, वर्ष] दिनांक [वर्तमान तिथि] को, [अपने नाम] पुत्र/पुत्री [पिता का नाम] गोत्र [अपना गोत्र]।
इसके बाद, जिस विशेष अनुष्ठान के लिए आप संकल्प ले रहे हैं, उसका नाम लें और अंत में यह कहें:
मम सर्वापराध-क्षयार्थं, श्री भगवान श्री [भगवान का नाम] प्रीत्यर्थं संकल्पं करिष्ये।
5. जल का विसर्जन: संकल्प मंत्र के बाद जल को भूमि पर छोड़ दें। यह जल भगवान को अर्पित माना जाता है।
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संकल्प मंत्र के लाभ | Benefits of Sankalp Mantra
मन की स्थिरता: संकल्प मंत्र के माध्यम से व्यक्ति की मानसिक स्थिति स्थिर होती है और पूजा-अर्चना के दौरान एकाग्रता प्राप्त होती है।
उद्देश्य की स्पष्टता: संकल्प के द्वारा अनुष्ठान का उद्देश्य स्पष्ट होता है, जिससे कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
धार्मिक आस्था में वृद्धि: यह मंत्र व्यक्ति की धार्मिक आस्था को मजबूत करता है और भगवान के प्रति समर्पण की भावना बढ़ाता है।
कर्मफल सिद्धि: सही संकल्प और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया गया कोई भी कार्य या अनुष्ठान फलदायी होता है।
निष्कर्ष
संकल्प मंत्र किसी भी धार्मिक अनुष्ठान की आत्मा है। इसके बिना किसी भी पूजा या व्रत का आरंभ अधूरा माना जाता है। यह मंत्र न केवल धार्मिक प्रक्रिया को सिद्धि दिलाने में सहायक है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और शांति भी लाता है। संकल्प मंत्र को पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए, ताकि भगवान की कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो सकें।