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Wednesday 11th June 2025
घर में आरती कैसे करें – पूरी विधि और लाभ जानें
By Vijay

घर में आरती कैसे करें – पूरी विधि और लाभ जानें

आरती हिंदू धर्म की पूजा पद्धति का एक अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है। यह न केवल देवी-देवताओं की स्तुति का एक माध्यम है, बल्कि आत्मा की शुद्धि, मन की एकाग्रता और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने का एक सरल, पवित्र और प्रभावी उपाय भी है।

आरती का अर्थ और महत्व

‘आरती’ शब्द संस्कृत के “आरात्रिक” से आया है, जिसका अर्थ होता है – अंधकार को दूर करना। जब हम दीपक को देवता के समक्ष घुमाते हैं, तो वह केवल प्रतीकात्मक नहीं होता, बल्कि यह संकेत होता है कि हम अपने भीतर और अपने घर के वातावरण से अज्ञान, नकारात्मकता और अशुद्धता को हटाकर, ज्ञान, भक्ति और प्रकाश को आमंत्रित कर रहे हैं।

आरती करने से:

  • घर में शुद्धता और सात्त्विकता बनी रहती है।
  • मन को शांति मिलती है।
  • नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है।
  • देवता की कृपा प्राप्त होती है।

आरती करने का सही समय

आरती करने का कोई कठोर नियम नहीं है, लेकिन प्रातःकाल और सायंकाल आरती के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं। विशेष पर्व, उपवास या जन्मदिन जैसे अवसरों पर भी आरती की जाती है।

  • प्रातः आरती – दिन की शुभ शुरुआत के लिए
  • सायंकाल आरती – दिन भर की थकान मिटाकर प्रभु का आभार व्यक्त करने के लिए

घर में आरती की तैयारी कैसे करें?

आरती के लिए पूर्ण श्रद्धा, शुद्धता और मानसिक एकाग्रता आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित चीजों की आवश्यकता होती है:

आवश्यक सामग्री:

  • तांबे या पीतल का दीपक
  • शुद्ध घी या तिल का तेल
  • रूई की बाती
  • अगरबत्ती या धूप
  • फूल और तुलसी पत्र (यदि उपलब्ध हो)
  • कपूर
  • घंटी
  • आरती की पुस्तक या मोबाइल में आरती के शब्द

घर में आरती करने की विधि

1. स्थान की शुद्धता

आरती से पूर्व पूजा स्थान की सफाई करें। देवताओं की मूर्तियों को कपड़े से साफ करें, उन्हें वस्त्र पहनाएं और फूल अर्पित करें।

2. स्वयं की शुद्धता

स्नान कर लें या कम से कम हाथ-मुँह धो लें। स्वच्छ वस्त्र पहनें। मानसिक रूप से शांत और एकाग्र होकर पूजा स्थान पर बैठें।

3. दीपक जलाना

दीपक में घी या तेल डालकर बाती जलाएं। यदि संभव हो तो दीपक तांबे या पीतल का ही हो। यह शुभ और सात्त्विक माना जाता है।

4. अगरबत्ती और धूप

देवताओं के समक्ष अगरबत्ती और धूप जलाएं। इससे वातावरण शुद्ध होता है और भक्ति भाव जागृत होता है।

5. आरती का गायन

आरती के शब्दों का उच्चारण करें। यदि आरती कंठस्थ न हो तो पुस्तक या मोबाइल से पढ़ सकते हैं। गायन करते समय पूरे मन से भगवान की उपासना करें।

6. दीपक घुमाना

दीपक को देवता की मूर्ति या चित्र के सामने दक्षिणावर्ती (घड़ी की सुई की दिशा में) घुमाएं। सामान्यतः दीपक को 3, 5, या 7 बार घुमाया जाता है।

7. घंटी बजाना

आरती के समय घंटी बजाएं। यह वातावरण को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है।

8. आरती का समापन

आरती के अंत में भगवान से आशीर्वाद की प्रार्थना करें और आरती की लौ को दोनों हथेलियों से छूकर नेत्रों पर लगाएं।

प्रमुख आरतियाँ जिनका घर में गायन कर सकते हैं

  • श्री गणेश जी की आरती – “जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा”
  • श्री विष्णु जी की आरती – “ॐ जय जगदीश हरे”
  • शिव जी की आरती – “ॐ जय शिव ओंकारा”
  • हनुमान जी की आरती – “आरती कीजै हनुमान लला की”
  • माँ लक्ष्मी की आरती – “ॐ जय लक्ष्मी माता”
  • दुर्गा माता की आरती – “जय अम्बे गौरी”

आरती करते समय सावधानियाँ

  • कभी भी गंदे या टाइट कपड़ों में आरती न करें।
  • आरती के समय मन एकाग्र रखें और इधर-उधर की बातें न सोचें।
  • आरती करते समय मोबाइल फोन या टीवी का उपयोग न करें।
  • दीपक बुझने न दें, इसे पूजा के बाद सावधानी से बुझाएं।
  • यदि संभव हो, तो हर दिन एक ही समय पर आरती करें।

घर में आरती करने के लाभ

  • मानसिक शांति – तनाव और चिंता में राहत मिलती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा – घर का वातावरण शांत और शुद्ध बनता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति – आत्मा का जागरण होता है।
  • पारिवारिक एकता – सब मिलकर आरती करते हैं तो पारिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।
  • बच्चों में संस्कार – उन्हें धर्म, संस्कृति और भक्ति की शिक्षा मिलती है।

अंतिम विचार

घर में आरती करना एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली साधना है। यह ना केवल हमारे धार्मिक जीवन का हिस्सा है, बल्कि यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है जो हमारे चारों ओर की ऊर्जा को शुद्ध करती है। जब हम पूरे मन और श्रद्धा से दीपक घुमाते हैं, तो वह दीपक सिर्फ रोशनी नहीं फैलाता – वह भक्ति, विश्वास, और शुद्धता का प्रतीक बन जाता है ।

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  • May 28, 2025

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