शिव चालीसा: भगवान शिव की कृपा पाने का अद्वितीय और प्रभावी स्तोत्र

शिव चालीसा का पाठ भारतीय संस्कृति और धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह विशेष रूप से भगवान शिव के भक्तों के लिए एक शक्तिशाली साधन है, जिससे वे अपनी जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर कर सकते हैं। सरल भाषा में रचित इस चालीसा के माध्यम से भक्त भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न कर सकते हैं।

आज के युग में, जब जीवन की चुनौतियाँ और तनाव बढ़ रहे हैं, शिव चालीसा का नियमित पाठ मानसिक शांति और आत्मिक शक्ति प्रदान करता है। विशेषकर सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत, और सावन के पवित्र महीने में इसका पाठ अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद शिव चालीसा का पाठ करने से न केवल भक्त के दुख दूर होते हैं, बल्कि भगवान शिव की असीम कृपा भी प्राप्त होती है।शिव चालीसा का पाठ व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक रूप से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मजबूत बनाता है, जिससे वह जीवन की चुनौतियों का सामना कर सके और सफलता प्राप्त कर सके।

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शिव चालीसा एक लोकप्रिय भक्ति काव्य है जो भगवान शिव की स्तुति और प्रार्थना में गाया जाता है। यहाँ सम्पूर्ण शिव चालीसा प्रस्तुत है:

**शिव चालीसा**

**॥दोहा॥** 

जय गिरिजा पति दीन दयाला। 

सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ 

भाल चन्द्रमा सोहै नीके। 

कानन कुंडल नागफनी के॥ 

अंग गौर शिर गंग बहाए। 

मुण्डमाल तन छार लगाए॥ 

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। 

छवि को देखि नाग मन मोहे॥ 

मैना मातु की हवे दुलारी। 

बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ 

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। 

करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ 

नन्दि गणेश सोहे तहं कैसे। 

सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ 

कार्तिक श्याम और गणराऊ। 

या छवि को कहि जात न काऊ॥ 

देवन जबहि जाई विलाला। 

तबहि संकट देखि बिकलाला॥ 

किंकरी तरे नम: शिवाय। 

तबहि कष्ट नासक प्रभु आय॥ 

**॥चौपाई॥** 

नम: शिवाय कहे नर कोई। 

जन्म मृत्यु जरा नहीं होई॥ 

कृपा करें अगर शिव होई। 

विपत्ति पर भी नहीं दुख होई॥ 

दीन दयाल बिरद संभारी। 

हरहु नाथ मम संकट भारी॥ 

जायं सहित तुम्हारे दरबार। 

दुखित सब हरहु अपार॥ 

प्रभु महिमा नाहीं बखानी। 

जेहि दूषन तुम जानत आनी॥ 

हरहु कष्ट सदा दुख नाशा। 

रखु प्रभु अब लोचन भ्रकशा॥ 

शरणागत कोई आएं सनाथ। 

करें अनाथ की रक्षा तात॥ 

सब दु:ख, दुःख हरन हरे। 

खलन जब कि सेहु की देरे॥ 

भव मुझ में सब दुख हारो। 

तुम बिन कौन किस का पारा॥ 

तुम जगपालक कृपालू। 

काटो संकत कालिकालू॥ 

जो कोई तुम शरण आए। 

तुरत भय सब संकट जाए॥ 

प्रभु नाथ करुणानिधान। 

अमरनाथ, आनन्द कन्द॥ 

त्रिपुरारि, रणधर धारि। 

संसार व्योम विहार॥ 

जो कोई अनाथ पुकारे। 

तुरत शरण तुम्हारी पारे॥ 

रवि शशि कुहर धरो तुम्हारी। 

सत्यनाम प्रभु सर्वकामी॥ 

रावण जबहि जुध ललकारा। 

तुम कृपा कर संतन मारा॥ 

राम जन्म बिपुलित हूती। 

तुम्हरी कृपा होत सब पूर्ति॥ 

देवन जबहि भव बिनाश। 

तबहि दशानन लंका नाश॥ 

गंगा शरण प्रभु कृपा करौं। 

भव तनु हरो गोदावरी लहरौं॥ 

विष्णु ने प्रभु ध्यान लगावा। 

आपन सकल सुख समभावा॥ 

सब देवें तबहीं हरषाए। 

तुम्हरी बड़ाई हो मनाए॥ 

दीनानाथ दयाल बिरदा। 

सदा करो कृपा नाथ श्रद्धा॥ 

राम जपहु तो सब सुख पावहु। 

हरहु समस्त संकट पावहु॥ 

हर हर महादेव कहो शीतला। 

तुम कृपा कर सब जग जीता॥ 

**॥दोहा॥** 

अंत कहूँ कबिरा कछु नाहीं। 

केवल ध्यान सदा शिवाहीं॥ 

जो कोई गावे मन लायी। 

सब आनंद शांति सुख पाई॥ 

@SpiritualIndia

भगवान शिव की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि बनी रहे।