खाटू श्याम जी, जो आज करोड़ों भक्तों के आराध्य हैं, उनके नाम और रूप के पीछे एक दिव्य और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि खाटू श्याम जी का असली नाम क्या था। इस ब्लॉग में हम जानेंगे उनके वास्तविक नाम, जन्म, जीवन और भगवान श्रीकृष्ण से उनके संबंध के बारे में।
खाटू श्याम जी का असली नाम: बर्बरीक (Barbarik)
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था। वह भीम (महाभारत के पांडवों में से एक) और नाग कन्या अहिलावती के पुत्र थे। इसलिए वे भीमपुत्र और नागवंशी क्षत्रिय के रूप में जाने जाते हैं।
Khatu Shyam Ji Ka Real Name Kya Tha?
- असली नाम: बर्बरीक
- पिता का नाम: भीम
- माता का नाम: अहिलावती
- कुल: नागवंशी
- उपनाम: श्री श्याम बाबा, बर्बरीक, श्याम जी महाराज, हारे के सहारे
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बर्बरीक का जन्म और शक्तियाँ (Birth & Powers of Barbarik)
बर्बरीक का जन्म एक अत्यंत वीर योद्धा के रूप में हुआ था। उन्होंने भगवान शिव से तीन अमोघ बाण प्राप्त किए थे, जिन्हें “तीन बाणधारी” कहा जाता है। इन तीनों बाणों की शक्ति इतनी अद्भुत थी कि—
- पहला बाण दुश्मनों को चिह्नित करता।
- दूसरा बाण उन्हें नष्ट करता।
- तीसरा बाण वापिस लौट आता।
इन शक्तियों के कारण बर्बरीक महाभारत के सबसे शक्तिशाली योद्धाओं में से एक बन गए थे।
खाटू श्याम जी का श्रीकृष्ण से संबंध
जब महाभारत युद्ध का समय आया, तो बर्बरीक ने युद्ध में भाग लेने की इच्छा जताई। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि वे युद्ध में हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ेंगे क्योंकि उनका सिद्धांत था “जो हार रहा हो, उसकी मदद करनी चाहिए।”
श्रीकृष्ण की परीक्षा और बर्बरीक का बलिदान
श्रीकृष्ण समझ गए कि यदि बर्बरीक युद्ध में गए तो वे लगातार हारने वाली ओर जाएंगे, जिससे अंततः कोई भी जीत नहीं पाएगा। इसलिए श्रीकृष्ण ने उनसे दान में अपना शीश (सिर) माँग लिया।
बर्बरीक ने निःसंकोच अपना शीश दान में दे दिया।
क्यों कहते हैं उन्हें “श्याम” और नहीं बर्बरीक?
श्रीकृष्ण, जिनका रंग श्याम था, ने बर्बरीक के बलिदान से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में तुम्हारी पूजा “श्याम” नाम से होगी। इसीलिए बर्बरीक को अब “श्याम बाबा” के नाम से पूजा जाता है।
❝ जो युद्ध में ना होकर भी सब देखे, और अपने शीश को दान दे दे, वह वास्तव में भगवान है। ❞
खाटू श्याम मंदिर – आस्था का प्रमुख केंद्र
राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित है खाटू श्याम जी का भव्य मंदिर, जो प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
मंदिर की विशेषताएँ:
- यहां पर वही शीश स्थापित है जो बर्बरीक ने श्रीकृष्ण को दान में दिया था।
- हर साल फाल्गुन मेला लगता है जिसमें लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं।
- भक्त उन्हें “हारे के सहारे” कहकर पुकारते हैं।
खाटू श्याम जी को क्यों कहते हैं ‘हारे का सहारा’?
क्योंकि उनका वचन था कि वे हमेशा उस व्यक्ति के साथ रहेंगे जो हार रहा हो। चाहे जीवन की कठिनाई हो, आर्थिक संकट या मानसिक तनाव, श्याम बाबा को याद करने मात्र से सहायता प्राप्त होती है।
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खाटू श्याम जी के नामों की सूची (Popular Names of Khatu Shyam Ji)
क्रम | नाम | अर्थ |
---|---|---|
1 | बर्बरीक | असली नाम, योद्धा रूप |
2 | श्याम बाबा | श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया नाम |
3 | हारे के सहारे | जो हारों की मदद करते हैं |
4 | तीन बाणधारी | जिनके पास तीन अमोघ बाण थे |
5 | श्याम जी महाराज | भक्तों द्वारा दिया गया आदरसूचक नाम |
खाटू श्याम जी से जुड़ी रोचक बातें (Interesting Facts)
- खाटू श्याम जी को श्रीकृष्ण का कलियुग अवतार भी कहा जाता है।
- उनकी मूर्ति को नीले रंग का तिलक लगाया जाता है जो श्रीकृष्ण का प्रतीक है।
- कई भक्त उन्हें मुरलीधर और बंसीवाले के रूप में भी पूजते हैं।
भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक – श्याम बाबा
आज के समय में भी श्याम बाबा के चमत्कारों की कथाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से उनका नाम लेता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है।
भक्तों के अनुभव:
- “श्याम बाबा ने मेरी बिगड़ी नौकरी बनवा दी।”
- “बेटे के इलाज में जब सब हार चुके थे, बाबा ने करिश्मा कर दिया।”
- “बिज़नेस में भारी घाटा था, बाबा की कृपा से उबर गए।”
कैसे करें खाटू श्याम जी की पूजा? (How to Worship Khatu Shyam Ji)
- प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- श्याम बाबा की प्रतिमा या फोटो के सामने दीपक जलाएं।
- “ॐ श्री श्याम देवाय नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।
- फूल, चंदन, भोग अर्पण करें।
- भक्ति गीत या श्याम भजन सुनें।
निष्कर्ष (Final Thoughts)
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक था, परंतु उनके बलिदान और भक्ति की वजह से वे “श्याम” नाम से विख्यात हुए। कलियुग में उन्हें हारे के सहारे कहा गया है, क्योंकि वे सच्चे भक्तों के दुखों को हरने वाले हैं।
यदि आप जीवन की किसी कठिन घड़ी से गुजर रहे हैं, तो एक बार खाटू श्याम जी का नाम लेकर देखिए, उनका आशीर्वाद जरूर मिलेगा।